I Am Anonymous Me.People often tell me...What ?...I didn't get you ! Very Non Conclusive on almost every aspect of Life

पहली जैसी मधुशाला , मेरी नन्ही मधुशाला



एक
समय संतुष्ट बहुत था पा मैं थोड़ी-सी हाला,
भोला-सा था मेरा साकी, छोटा-सा मेरा प्याला,
छोटे-से इस जग की मेरे स्वर्ग बलाएँ लेता था,
विस्तृत जग में, हाय, गई खो मेरी नन्ही मधुशाला!

बहुतेरे मदिरालय देखे, बहुतेरी देखी हाला,
भांति भांति का आया मेरे हाथों में मधु का प्याला,
एक से बढ़कर एक , सुन्दर साकी ने सत्कार किया,
जँची न आँखों में, पर, कोई पहली जैसी मधुशाला

2 comments:

Asha Joglekar said...

वाह आप तो बच्चन जी के नक्शे कदम पर चल पडे ।

Anonymous said...

बहुत सुन्दर प्यास , ख़ुशी कि बात ये है कि लय वही है और ये मजाक नहीं बना
आपने कवित्त को आगे ही बढाया है
sarparast.blogspot.com

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