I Am Anonymous Me.People often tell me...What ?...I didn't get you ! Very Non Conclusive on almost every aspect of Life

दूर खड़ी है मधुशाला !



चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला; 'दूर अभी है', पर, कहता है हर पथ बतलानेवाला|
हिम्मत है न बढूँ आगे को साहस है न फिरुँ पीछे; किंकर्तव्यविमूढ़ मुझे कर दूर खड़ी है मधुशाला||

1 comments:

Sanjay Grover said...

हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

कृपया एक अत्यंत-आवश्यक समसामयिक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
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शुभकामनाओं सहित
संजय ग्रोवर

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