I Am Anonymous Me.People often tell me...What ?...I didn't get you ! Very Non Conclusive on almost every aspect of Life

एक रंग याद है, था बचपन सा



एक रंग याद है , था बचपन सा
बिना मिलावट के था सच मन सा
था गाढा पर बहुत सरल सा
छाप अमिट दी दीवारों पे मन के है छोड़

रंग रहे यही याद में, ह्रदय में हरदम
ऐसी इच्छा होती है हर क्षण
पर हरदम ही हो समय के अधीन
इच्छाएँ देती हैं दम तोड़

और धीरे धीरे अनचाहे मटमैले रंग
मन की दीवारों पर चढ़कर कर देते हैं ग्रस्त
झूट मिला के सच धो धो कर
बनता चढ़ता दीवारों पे मन के ये अनचाहा मटमैला रंग

छुटपन में होती थी बस इच्छा
हो जाऊं इन सब से बड़ा
पर जब हो चला ... बड़ा हूँ
लगता है छोटा ही था मैं अच्छा
छोटी बातें तो ना करता था
ओछी बातें तो ना करता था
अपनी अक्षमता ,छल और कपट को "दुनियादारी " तो ना कहता था

चाहिए जो वो ना मिलने पर
रो कर बस चुप हो जाता था
पर अब तो ना मिले अगर जो कुछ तो
उसको अपने अधीन करने में
दूसरों को रुलाने में अब आता है मजा बड़ा

छोटे में समझ में आता था बस
आकार में छोटे और बड़े का अर्थ
होकर बड़ा... कष्ट होता है
समझने जो लगा हूँ मन से छोटे और बड़े का अर्थ

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